Munshi premchand ki jivani. मुंशी प्रेमचंद : हिन्दी निबंध 2022-10-11

Munshi premchand ki jivani Rating: 6,5/10 133 reviews

Munshi Premchand was a pioneering Hindi novelist, storywriter, and playwright who played a crucial role in the development of modern Hindi literature. He was born in 1880 in a small village in Uttar Pradesh, India, and began writing at a young age. Despite facing many challenges and obstacles, he went on to become one of the most celebrated writers in Hindi literature, with a career that spanned over four decades.

Premchand's early life was marked by poverty and struggle. He was born into a poor family of landed peasants and received a limited education. However, he was an avid reader and was particularly influenced by the works of Shakespeare, Dickens, and other Western writers. He also had a deep interest in Indian literature and was inspired by the works of Rabindranath Tagore and Bankim Chandra Chatterjee.

In 1899, Premchand began writing short stories and essays in Hindi and Urdu under the pen name "Nawab Rai." His early works were focused on social issues, such as the plight of peasants and the struggles of the working class. He also wrote about the struggles of women and the impact of colonialism on Indian society.

Premchand's career took off in the 1920s, when he began publishing his novels and stories in Hindi magazines. His most famous works include "Godaan," "Seva Sadan," and "Kafan," which are considered classics of Hindi literature. These works, which deal with issues such as poverty, corruption, and social injustice, helped to establish Premchand as a major voice in Indian literature.

In addition to his writing, Premchand was also involved in social and political activism. He was a member of the Indian National Congress and worked to promote education and social reform in India. He was also a strong advocate for women's rights and was instrumental in the formation of the All India Women's Conference.

Premchand's writing had a profound impact on Hindi literature and continues to be widely read and admired today. His works are known for their realistic portrayal of Indian society and for their insights into the human condition. He is remembered as one of the greatest writers in the history of Hindi literature and as a champion of social justice and equality.

मुंशी प्रेमचंद जीवनी

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उपन्यास में कथानायक सूरदास जीवन में आनेवाली. इसको इसे पूरा पढे बिना आप रह नहीं पाओगे. मन्दिर और मस्जिद 80. The one on your homepage is a rice cooker recipe. निर्मला उपन्यास भी मुंशी प्रेमचंद की सबसे अधिक लोकप्रिय रचनाओं की सूचि में आता है. धनपत राय ने अपना पहला लेख नवाब राय के नाम से ही लिखा था.


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Premchand Ka Jivan Parichay

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प्रेमचंद अचानक से कंपनी का १ साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा किये बिना ही. पंच परमेश्वर फिर से दो सबसे अच्छे दोस्तों, जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की एक प्रासंगिक कहानी, जो एक-दूसरे पर आँख बंद करके भरोसा करते हैं। लेकिन उनकी दोस्ती यू-टर्न लेती है जब जुम्मन की चाची अपने भतीजे के खिलाफ न्याय की उम्मीद में ग्राम पंचायत के पास जाती है, जिसने उसकी सारी संपत्ति जबरन ले ली और अब उसके साथ बुरा व्यवहार करता है। अलगू चौधरी, जो ग्राम सभा में एक प्रतिनिधि भी हैं, एक ऐसे विवाद में फंस जाते हैं, जहां उनसे न्याय की उम्मीद की जाती है जो जुम्मन के साथ उनकी दोस्ती को नुकसान पहुंचा सकता है। कहानी हम सभी के लिए एक जीवन सबक के साथ समाप्त होती है और यह कि प्रत्येक व्यक्ति किसी स्थिति को अपने दृष्टिकोण से कैसे देखता है। Frequently Asked Questions about Premchand — FAQ मुंशी प्रेमचंद का जन्म कब हुआ? बड़े घर की बेटी 72. अकेलेपन में उन्होंने किताबों को अपना साथी बनाया था. प्रेमचंद की सबसे मशहूर कृति क्या है? इसमें उन्होंने प्रेमचंद की शख़्सियत अपने परिवार,घर व रिश्ते नातों की नज़रिये से कैसी है. आज भी मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास बहुत सी किताबों में आते हैं.

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प्रेमचंद को बचपन से ही पढ़ने लिखने में रुचि थी. महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होने 1921 में अपनी नौकरी छोड़ दी. अमृत राय ने प्रेमचंद को कौन सी उपाधि दी थी? मेट्रिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद में उन्हें एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया. प्रेमचंद की शिक्षा क्या थी? इसी कारण यह उपन्यास किसान बधुओं को समर्पित था. कर्मभूमि : इस उपन्यास को प्रेमचंद ने १९३२ में प्रकाशित किया था. बैंक का दिवाला 70. अभिगमन तिथि 25 जून 2008.

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पिताजी ने दूसरी शादी कर ली जिसके कारण बालक प्रेम व स्नेह को चाहते हुए भी ना पा सका. उनका कहना था, जिस दिन वह कुछ लिखते नहीं, उन्हें अन्न ग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं और यह बात उन्होंने साबित भी की. मुख्य रूप से प्रेमचंद ने तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियो का सजीव वर्णन अपने साहित्यिक रचना के माध्यम से किया है. साल १८९८ में मेट्रिक उतीर्ण करने के पश्चात वह एक मिशनरी विद्यालय में शिक्षक की नौकरी पर लग गए. गैरत की कटार 28.

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मुंशी प्रेमचन्द्र की जीवनी

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प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में वाराणसी के लमही ग्राम में हुआ था। उनका बचपन का नाम धनपत राय था। अल्पायु में माता-पिता की मृत्यु के कारण उनका बचपन से ही उनका जीवन बहुत ही, संघर्षो से गुजरा था। किन्तु जिस साहस और परिश्रम से उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा, वह साधनहीन एवं कुशाग्रबुद्धि और परिश्रमी छात्रों के लिए प्रेरणाप्रद है। उनकी शिक्षा स्थानीय स्कूल में सम्पन्न हुई। उनकी मृत्यु 1936 में हुई। 3. नौकरी छोड़ने के बाद कुछ दिनों तक उन्होने ने मर्यादा नामक पत्रिका में सम्पादन का कार्य किया. वाराणसी: अनुराग प्रकाशन, विशालाक्षी, चौक. उनकी पढने की आदत व बचपन से जवानी तक मिले हुए कडवे अनुभव ही एक बेजोड़ व अद्भुत सच्चाई बनकर उनके लेखन शैली में उतर गए थे. उसके बाद छह साल तक माधुरी नामक पत्रिका में संपादन का काम किया.

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मुंशी प्रेमचंद की जीवनी

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वो नाटक उनके मामाजी की हास्यप्रद प्रेम कहानी पर आधारित था. मेले से सभी तो मिठाई के दोने और फूलों के हार लेकर नहीं लौटते? इसमें धार्मिक स्थलों में विलासिता से भरा हुआ जीवन एवं धार्मिक पाखंडों का पर्दाफाश किया है. . बचपन से ही उन्होंने ने पैसे की तंगी, मनचाही चीजों के लिए तरसना या उनका ना मिलना इन सभी मध्यम वर्गीय परेशानियों को नजदीक से महसूस किया था. इस उपन्यास में रमानाथ और उसकी पत्नी जालपा के वैवाहिक जीवन का अंकन है. और न चाहते हुए भी परिवारवालों की मर्जी से उन्हें विवाह करना पडा था, जो की आगे चलकर बुरी तरह से असफल रहा.

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मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन परिचय

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प्रेमचंद के चार उपन्यास कौन-कौन से हैं? उनकी लिखी सबसे पहली रचना कभी प्रकाशित नहीं हुई. तो आप उसे मुझे. प्रेमचंद की शिक्षा व उपाधि — Munshi Premchand Education ७ साल की उम्र में प्रेमचंद के पिताजी ने उनका दाखिला गाँव के एक मदरसा शैक्षिक संस्थान में करवाया था. र्स्वग की देवी 88. और १९१९ में अंग्रेजी, फ़ारसी और इतिहास लेकर बैचलर ऑफ आर्ट की उपाधि प्राप्त कर ली थी. ज्ञानवापी, काशी: हिन्दी पुस्तक एजेंसी.

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मुंशी प्रेमचंद : हिन्दी निबंध

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परंतु फिल्मी दुनिया उन्हे रास नहीं आयी और वह अपने कांट्रैक्ट को पूरा किए बिना ही बनारस वापस लौट आए. मूल से 7 अगस्त 2007 को. जिससे आप जान सकेंगे की आखिर उनके उपन्यास किस विषय में है. निर्मला : सन १९२५ में इस उपन्यास को धारवाहिक के रूप में प्रकाशित किया गया था. प्रेमचंद यह नाम रखने की सलह उनके मित्र दयानारायन निगम ने दी थी. बड़ी कठिन परिस्थियों का सामना करते हुए हिन्दी जैसे, खुबसूरत विषय मे, अपनी अमिट छाप छोड़ी.


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प्रेमचंद

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२ महीने के तनख्वा छोड़कर बनारस लौट गए. शुरुआत से ही उनको पढ़ने लिखने का बहुत ही शौक था. प्रेमचंद और उनका युग. इसका प्रकाशन साल १९६४ में हुआ था. एक साथ पाँच लोगों का खर्चा सहन करना पड़ा. उनकी माताजी का नाम आनन्दी देवी एवं पिताजी का मुंशी अजायबराय था, जो लमही गाँव के पोस्ट ऑफिस में डाकपाल postmaster के पद पर थे. प्रेमचंद ने 1901 मे उपन्यास लिखना शुरू किया.

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मुंशी प्रेमचंद जी की मशहूर किताबें

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प्रेमचंद के नाम से उनकी पहली कहानी ज़माना पत्रिका के दिसम्बर 1910 मे प्रकाशित हुई. जीवन में न तो उनको कभी सुख-चैन का विलास मिला और न ही उनकी इसकी तमन्ना थी. इनकी लिखी कहानिया एवं उपन्यासों पर फिल्म एवं धारावाहिक बने है. उनके जीवन में वे हमेशा चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करते थे. रूठी रानी : इस उपन्यास में राजा की वीरता और उसके एक से ज्यादा विवाह करने के दुष्परिणाम दिखाए गए है. जो उसकी पिता की उम्र का होता है. १९७७ में आयी शतरंज के खिलाड़ी और १९८१ आयी सद्गति.

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