Essay on village development in hindi. गाँव के जीवन पर निबंध 2022-11-02

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गांव का विकास हमारे देश में एक महत्वपूर्ण समस्या है। हमारे देश में अधिकांश लोग गांवों में रहते हैं और इसलिए गांवों का विकास हमारे देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

गांव का विकास सुनिश्चित रूप से हमारे देश के विकास में अहम भूमिका निभाता है। गांव में जीवन जीने वाले लोग अधिकांशतः कृषि के माध्यम से अपना आय उपजाऊ करते हैं और इसलिए गांवों में कृषि का विकास बहुत महत्वपूर्ण है। कृषि के विकास से गांव की आय में वृद्धि होती है और इससे गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है।

हालांकि, गां

Essay On Indian Village for Students

essay on village development in hindi

आज गाँवों में जो समस्याएं मुहं उठाए खड़ी हुई हैं, वे भारत जैसे देश के लिए कलंक की बात हैं. In the villages, many constitutions and rules were made in providing all kinds of facilities like electricity, water, education and care facilities, which provide full support for the progress of the village. विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि हर विकास के अपने सकरात्मक और नकरात्मक नतीजे होते है। लेकिन जब निवासियो के लाभ के लिए विकास किया जा रहा हो, तो पर्यावरण का ख्याल रखना भी उतना ही जरुरी है। अगर बिना पर्यावरण की परवाह किये विकास किया गया तो पर्यावरण पर इसके नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होंगे, जिससे यह उस स्थान पर रहने वाले निवासियो पर भी हानिकारक प्रभाव डालेगा। पर्यावरण और विकास पर छोटे तथा बड़े निबंध Short and Long Essay on Environment and Development in Hindi, Paryavaran aur Vikas par Nibandh Hindi mein निबंध — 1 300 शब्द प्रस्तावना पर्यावरण और आर्थिक विकास एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हुए है, वही दूसरी तरफ एक देश की आर्थिक तरक्की भी पर्यावरण को प्रभावित करती है। उसी तरह पर्यावरण संसाधनो में गिरावट भी आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। ऐसे कई सारी पर्यावरण नीतियां है। जिन्हे अपनाकर हम अपने पर्यावरण को भी बचा सकते है और अपनी आर्थिक उन्नति भी सुनिश्चित कर सकते है। पर्यावरण और आर्थिक विकास आर्थिक विकास एक देश के उन्नति के लिए बहुत आवश्यक है। एक देश तभी विकसित माना जाता है जब वह अपने नागरिको को पार्याप्त मात्रा में रोजगार मुहैया करवा पाये। जिससे वहा के निवासी गरीबी से छुटकारा पाकर एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सके। इस तरह का विकास आय में असमानता को कम करता है। जितना ज्यादे मात्रा में एक देश आर्थिक तरक्की करता है, उसके राजस्व कर में भी उतनी ही वृद्धि होती है और सरकार के बेराजगारी और गरीबी से जुड़ी कल्याण सेवाओं के खर्च में उतनी ही कमी आती है। पर्यावरण एक देश के आर्थिक उन्नति में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक राष्ट्र के विकास का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ा होता है। प्राकृतिक संसाधन जैसे कि पानी, जीवाश्म ईंधन, मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनो की उत्पादन क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रो में आवश्यकता होती है। हालांकि, उत्पादन के परिणामस्वरूप पर्यावरण द्वारा प्रदूषण का भी अवशोषण होता है। इसके अलावा उत्पादन के लिए संसाधनों के ज्यादे इस्तेमाल के वजह से पर्यावरण में संसाधनों की कमी की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। प्राकृतिक संसाधनो के लगातार हो रहे उपभोग तथा बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण पर्यावरण संसाधनो की गुणवत्ता खराब हो जायेगी, जिससे ना सिर्फ उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। बल्कि की इसके उत्पादन में लगे मजदूरो में भी तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होंगी और इसके साथ यह उनके लिए भी काफी हानिकारक सिद्ध होगा, जिनके लिए यह बनाया जा रहा है। निष्कर्ष आर्थिक विकास का आंनद लेने के लिए यह काफी जरूरी है कि हम पर्यावरण संसाधनो के संरक्षण को विशेष महत्व दे। पर्यावरण और आर्थिक विकास के संतुलन के मध्य संतुलन स्थापित करना काफी आवश्यक है, इस प्रकार से प्राप्त हुई तरक्की का आनंद ना सिर्फ हम ले पायेंगे बल्कि की हमारी आने वाली पीढ़ीया भी इससे लाभान्वित होंगी। निबंध — 2 400 शब्द प्रस्तावना सतत विकास स्थिरता के तीन स्तंभो पर टिका हुआ है — आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक यह तीन चीजे इसकी आधारशिला है। पर्यावरणीय स्थिरता का तात्पर्य वायु, जल और जलवायु से है, सतत विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू उन गतिविधियों या उपायों को भी अपनाना है जो स्थायी पर्यावरणीय संसाधनों में मदद कर सके। जिससे ना केवल हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ीयों की भी आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित कर सकेंगे। पर्यावरण और सतत विकास सतत विकास की अवधारणा 1987 में बनी ब्रुटलैंड कमीशन से ली गयी है। इस वाक्यांश के अनुसार सतत विकास वह विकास है जिसके अंतर्गत वर्तमान की पीढ़ी अपनी जरूरतो को पूरा करे, लेकिन इसके साथ ही संसाधनो की पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा सुनिश्चित करे। जिससे आने वाले समय में भविष्य की पीढ़ी के मांगो को भी पूरा किया जा सके। 2015 के यूनाइटेड नेशन सतत विकास शिखर सम्मेलन यू. जल स्त्रोतों का संरक्षण करना और उनका सतत विकास करना। 11. He kept on bleeding profusely that day.

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My Village Essay In Hindi

essay on village development in hindi

न उनके मन में आगे बढ़ने की कोई इच्छा थी. गांधीजी का कहना था कि भारत गाँवों में बसता हैं. What are the characteristics of rural life? What are the benefits of rural life? नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं. Essay on Village in Hindi गांव इतना महत्वपूर्ण क्यों है? आज भी भारत की साठ प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में निवास करती है. Rural farmers depend on nature, but always droughts and floods damage their hard work. और चटनी रोटी खाकर ही संतोष प्राप्त कर लेते हैं.

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Essay on village life in hindi, article, paragraph: गांव का जीवन पर निबंध, लेख

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गाँव में ही सेवा और परिश्रम के अवतार किसान बसते है. कृषि की सारी उपज सेठ साहूकार ले जाते थे. कृषि की दशा भी गिरी हुई थी. अधिकाँश गाँव यातायात के साधनों के अभाव में शहरों से बिलकुल कटे हुए थे. वह अब खेती के नए नए साधनों का प्रयोग करता है. वैसे तो सरकारों द्वारा गाँवों को रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए वहां अस्पताल खोले जा रहे हैं. वह हल और बैल से खेती करता था.

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गांव का विकास देश का विकास निबंध। Essay on rural development in hindi

essay on village development in hindi

उत्तर — हम गाँवो में शांतिपूर्ण और शांत जीवन जी सकते हैं। यहाँ पर वाहन शोर यातायात शोर, औद्योगिक शोर, निर्माण भवन शोर, ज्यादा नहीं है इसलिए प्रदुषण भी कम है। यहाँ पर ताज़ा हवा और खेतो से ताज़ी सब्जियाँ भी मिलती है।. गाँव के जीवन पर निबंध, ग्रामीण जीवन Gaanv Ke Jivan par Nibandh. और बढ़ती हुई बेकारी ने ग्रामीणों के जीवन को कुंठित और निराशामय बना दिया हैं. In the growth of each type of production, etc. प्रोढ़ शिक्षा की ओर भी सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

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विकास पथ पर भारत निबंध

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Due to a lack of education, work and happiness, he moved to the city. What is the problem of rural life? उनके बच्चे अब विदेशो में शिक्षा अध्ययन कर रहे है. ग्रामीण लोग रूखा सूखा जो भी मिल जाता हैं खा लेते हैं. भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की तीन चौथाई जनसंख्या गांवों में रहती है। ग्रामीण भारत ही वास्तव में भारत की शक्ति एवं समृद्धि का निर्धारण करता है किंतु दुर्भाग्य से हमारे गांवों ने शताब्दियों की उपेक्षा सहन की है। नतीजा यह है कि हमारे गांवों की साधारण दशा संतोषजनक नहीं है। 70 वर्ष बाद भी हम ग्रामीण और शहरी जीवन के अंतर को कम करने में सफल नहीं हुए हैं। गांव की जनसंख्या के प्रति व्यक्ति आय शहरी जनसंख्या के प्रति व्यक्ति आय से कहीं कम है। लगभग 7 दशकका नियोजन किंतु फिर भी उसके फायदे वंचित मात्रा में ग्रामीण गरीब तक नहीं पहुंचे हैं। निसंदेह हमारे गांव द्वारा बहुत प्रगति की गई है किंतु इतनी नहीं जितनी कि की जा सकती थी। पिछड़ेपन के बहुत ही महत्वपूर्ण कारणों में से एक कारण ग्रामीण जनता की व्यापक निरक्षरता है। तीन चौथाई ग्रामीण लोग अब भी निरक्षरता और अज्ञान के अंधेरे में लिपटे हुए हैं। इसके कारण उन्हें यह नहीं पता हो पाता कि उनके चारों ओर क्या हो रहा है? गाँव के जीवन पर निबंध — Essay on Village Life in Hindi आज के निबंध में आपका स्वागत हैं. In short, the villagers are now influenced by seductive horses. अशिक्षा के साथ साथ ग्रामवासियों की आर्थिक स्थिति की समस्या भी प्रबल थी.


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Essay On My Village in Hindi

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हरित क्रांति इसका जीता जागता उदाहरण है. ग्रामीण जीवन के बारे में सरल जानकारी इस निबंध में दी गई हैं. नलकूप, बिजली, रासायनिक खाद और कृषि यंत्रों में सुधार किया जा रहा हैं. सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में गाँवों की ओर विशेष ध्यान दिया है. अशिक्षा और अज्ञानता की अग्नि दिन रात धधकती रहती थी. इन कॉलेजों को शहरों के विश्विद्यालय से जोड़ दिया गया है.

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essay on village life in Hindi

essay on village development in hindi

उनके आर्थिक विकास के लिए गाँवों को सड़कों से जोड़ा जा रहा हैं. गांव का जीवन पर निबंध, short essay on village life in hindi 200 शब्द गांवों में बसनें वाले लोग अधिकतर खेती बाड़ी के काम में शामिल होते हैं और तनावपूर्ण भागदौड़ भरे शहर के जीवन की गहमागहमी से मीलो दूर रहते हैं। इनका जीवन जीने का ढंग सादगी भरा होता हैं। एक गाँव के जीवन की शुरुआत भौर के समय पक्षियों के चहचाहट और धीमी सूरज की किरण से होती है। अमूमन गाँवों में लोग सवेरे 5 बजे उठते हैं और अपनी दिनचर्या के कार्यों शुरुआत करते हैं। गांवों में अधिकतर लोग घर की छत या आंगन में खुले स्थान पर सोते हैं, इसलिए भौर के उजाले के समय वे जल्दी उठ जाते हैं। गाँवों में सुबह के समय मुर्गे की बाँग सुनाई देना आम बात हैं। काम की तलाश में गाँव के ज्यादातर पुरुष बाहर जाते है जबकि महिलाएं पर ही रहती हैं और घर के काम खाना बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना आदि होता है। किसान परिवार की महिलाएं पुरुषों के साथ खेतों पर काम पर भी जाती हैं। गाँव के पुरुष सदस्य अधिकतर कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में शामिल होते हैं। इनके पास या तो स्वयं के खेत हैं अथवा इनको मजदूरी पर लेने वाले जमींदारो के लिए कार्य करते हैं। अपने घर से थोड़ी दूरी पर काम करने के लिए कारीगर, मजदूर साइकिल की मदद से जाते है। ग्रामीण जीवन में वाहनों के कम उपयोग के चलते प्रदूषण की समस्या कम ही हैं । 500 शब्द गांव के जीवन पर निबंध भारत ग्राम्य प्रधान दर्श हैं. पानी की स्थिरता को बनाए रखना और सभी के लिए स्वच्छता के उपायो को सुनिश्चित करना। 5. Indian village has progressed and developed a lot. प्रभावी और जिम्मेदार संस्थानो का निर्माण करना, जिससे सभी को हर स्तर पर न्याय मिल सके। ऊपर दिए गये लक्ष्यो का निर्धारण गरीबी के उन्मूलन के लिए किया गया है, इसके साथ ही 2030 तक जलवायु परिवर्तन तथा अन्याय से लड़ने के लिए भी इन कदमो को निर्धारित किया गया है। यह फैसले इसलिए लिये गये है ताकी हम अपने भविष्य के पीढ़ी के जरुरतो के लिए अपने इन प्राकृतिक संसाधनो को संजोकर रख सके। निष्कर्ष सतत विकास की अवधारणा हमारे संसाधनो के उपभोग से जुड़ी है। अगर प्राकृतिक संसाधनो का उनके पुनरभंडारण से पहले इसी तरीके से तेजी से उपयोग होता रहा। तो यह हमारे पर्यावरण का स्तर पूरी तरह से बिगाड़ देगा और अगर इसपर अभी से ध्यान नही दिया गया तो इस प्रदूषण के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त मत्रा में नही बच पायेंगे, जिससे आनेवाले समय में यह हमारे विनाश का कारण बन जायेगा। इसलिए यह काफी आवश्यक है, जब हम अपने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सतत विकास के लक्ष्य को पाने का प्रयास करे। निबंध — 3 500 शब्द प्रस्तावना सतत विकास के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनो के संरक्षण का प्रयास किया जाता है, जिससे उन्हे आने वाली पीढ़ीयों के जरुरतो को पूरा करने के लिए बचाया जा सके। सबसे जरुरी यह है कि हमे अपने आने वाले पीढ़ीयो के सुरक्षा के लिए हमे सतत विकास को इस प्रकार से बरकरार रखने की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके। पर्यावरण सुरक्षा और सतत विकास वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण से जुड़ी कुछ मुख्य समस्याएं है। ग्लोबल वार्मिंग का तात्पर्य पृथ्वी में हो रहे स्थायी जलवायु परिवर्तन, औद्योगिक प्रदूषण पृथ्वी पर बढ़े रहे पर्यावरण प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैसो के उत्सर्जन और ओजोन परत में हो रहे क्षरण आदि कारणो से पृथ्वी के तापमान में होने वाली वृद्धि के समस्या से है। वैज्ञानिको ने भी इस तथ्य को प्रमाणित किया है की पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने के लिए यदि आवश्यक कदम नही उठायें गये तो यह समस्या और भी ज्यादे गंभीर हो जायेगी, जिसके नकरात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर होंगे। प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से हो रहा दोहन भी एक प्रमुख चिंता बन गया है। जनसंख्या ज्यादे होने के कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों पुनर भंडारण होने के पहले ही उनका खपत हो जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कृषि उत्पादों के उत्पादन की कम दर तथा प्राकृतिक संसाधनों में होती कमी के कारण उत्पन्न हो रही है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में जल्द ही धरती की जनसंख्या न केवल भोजन की कमी का सामना करेगी, बल्कि किसी भी विकास प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसाधनों की कमी से भी जूझना होगा। खाद्य और कृषि उत्पादन की कमी को दूर करने के लिए, इनके उत्पादन में रसायनों का उपयोग किया जाता है। यह न केवल मिट्टी के गुणवत्ता को कम करता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। अगर यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है तो पृथ्वी के लोगो को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इन बीते वर्षो में पृथ्वी के पर्यावरण और इसके संसाधनों को इन्ही कारणो से कई नुकसान हुए हैं। यदि पर्यावरण संकट के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम नही उठाये गये तो इस समस्या के और ज्यादे भयावह होने की संभावना है। ग्लोबल वार्मिंग के समस्या को रोकने के लिए वनो और झीलो की सुरक्षा भी आवश्यक है। पेड़ो को तब तक नही कटा जाना चाहिये जब तक बहुत ही आवश्यक ना हो। इस समय हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की पआवश्यकता है, हमारे इतने बड़े आबादी द्वारा उठाया गया एक छोटा सा कदम भी पर्यावरण की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे सकता है। यह पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, और वन्य जावो के सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पृथ्वी के प्रत्येक निवासी को ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए अपने ओर से महत्वपूर्ण योगदान देने की आवश्यकता है। ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार पदार्थो का उपयोग ज्यादेतर रेफ्रीजरेटरो और एयर कंडीशनरो में होता है जिसमें हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन HCFC और क्लोरोफ्लोरोकार्बन CFC रेफ्रीजरेंट के तौर पर इस्तेमाल किये जाते है। यह वह मुख्य तत्व है जिनके कारण ओजोन परत का क्षरण हो रहा है। इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि हम HCFC और CFC का उपयोग रेफ्रीजरेंट के तौर ना करे, इसके अलावा हमें ऐरोसोल पदार्थो का भी उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इनके द्वारा भी HCFC और CFC का उपयोग किया जाता है। ऊपर दिए गये उपायो को अपनाकर और सावधानी बरतकर हम पर्यावरण में कार्बन के उत्सर्जन को कम कर सकते है। निष्कर्ष सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, यह काफी जरुरी है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें। इस तरीके से यह सिर्फ ना वर्तमान के जनसंख्या के लिए लाभकारी होगा बल्कि की आने वाले पीढीया भी इसका लाभ ले सकेंगी और यही सतत विकास का मुख्य लक्ष्य है। इसलिए सतत विकास पर्यावरण की रक्षा के लिए यह काफी अहम है। निबंध — 4 600 शब्द प्रस्तावना पर्यावरण संरक्षण से अर्थ है पर्यावरण और इसके निवासियों की सुरक्षा, बचाव, प्रबंधन और इसके हालात को सुधारना। सतत विकास का मुख्य लक्ष्य भविष्य के पीढ़ी के लिए पर्यावरण और संसाधनो का संरक्षण और इसका इस तरह से उपयोग करना कि हमारे उपयोग के बाद भी यह भविष्य के पीढ़ी के बचा रह सके। इसलिए यह सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह काफी आवश्यक है कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करे। पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर्यावरण संरक्षण के दो तरीके है- प्राकृतिक संसाधनो की सुरक्षा करना या इस तरीके से रहना जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। पर्यावरण का तात्पर्य वायु, जल और भूमि तथा मनुष्यो के साथ इसके परस्पर संबध है। अगर एक व्यापक पहलू में कहे तो इसमें पेड़, मिट्टी, जीवाश्म ईंधन, खनिज आदि शामिल है। पेड़ बाढ़ और बारिश से मिट्टी के कटाव की होने वाली घटना को कम करते है, इसके साथ ही अनके द्वारा हवा को भी स्वच्छ किया जाता है। जल का उपयोग ना सिर्फ मनुष्यों द्वारा, बल्कि कृषि, पौधों और जानवरों जैसे जीवित प्राणियों के अस्तित्व और विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। सभी जीवित प्राणियों के साथ-साथ कृषि उत्पादन के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसलिए पेड़, मिट्टी और पानी के हर स्रोत के संरक्षण की आवश्यकता है। ये तीनो तत्व जीवित प्राणियों के अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि यह संसाधन इसी प्रकार प्रदूषित होते रहे तो यह ना सिर्फ हमें नुकसान पहुंचायेंगे, बल्कि की हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बड़ा संकट बन जायेगें। पर्यावरण संरक्षण का अर्थ सिर्फ प्राकृतिक संसाधनो का संरक्षण नही है। इसका तात्पर्य ऊर्जा के संसाधनो का संरक्षण करना भी है जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा यह दो प्रकार की नवकरणीय उर्जायें जीवाश्म ईंधन और गैस जैसे गैर-नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतो की रक्षा करने में हमारी सहायता करेगा। अगर सभी तरह के गैर नवकरणीय ऊर्जा को नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से बदल दिया जाये, तो यह पृथ्वी के पर्यावरण के लिए काफी सकरात्मक सिद्ध होंगे। क्योंकि गैर नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों को पुनर स्थापित होने में काफी समय लगता है, यही कारण है कि हमे नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों को इस्तेमाल करना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के अलावा इस्तेमाल हो रहे संसाधनो के पुनःपूर्ति के लिए भी प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए वनीकरण तथा जैविक रुप से बनी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना आदि कुछ ऐसे अच्छे उपाय है। जिनके द्वारा हम प्राकृतिक स्रोतों के पुनःपूर्ति का प्रयास कर सकते है। ये उपाय निश्चित रूप से पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में हमारी मदद करेंगे। इसके अलावा पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने के लिए और कई महत्वपूर्ण कदम उठाये जाने चाहिए। जिसके अंतर्गत तेल और गैस से चलने वाले वाहनो के जगह इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनो का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी तरह कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए साईकल चलाने, वाहनो के शेयरिंग या पैदल चलने जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है। इसके अलावा जैविक खेती इस सकरात्मक पहल का एक और विकल्प है, इसके द्वारा मिट्टी तथा खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहे और रासायनिक खेती के कारण पर्यावरण तथा हमारे सेहत पर होने वाली हानि को कम किया जा सके। धूम्रपान छोड़ना और रसायनिक उत्पादो का उपयोग बंद करना ना सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा बल्कि की पर्यावरण पर भी इसके सकरात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। एक व्यक्ति द्वारा नल के पानी को बंद करके या वर्षा के पानी को इकठ्ठा करके, कपड़े या बर्तन धोने जैसे अलग-अलग कामों में इस्तेमाल करके भी हम जल संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। जल इलेक्ट्रानिक उत्पाद उपयोग में ना हो तो इनका उपयोग बंद करके और उर्जा बचाने वाले इलेक्ट्रानिक उत्पादो का उपयोग करके भी हम ऊर्जा बचा सके है। इसके अलावा एक व्यक्ति के रुप में हम वस्तुओं की पुनरावृत्ति तथा पुनरुपयोग करके और पुरानी वस्तुओं का उपयोग करके तथा प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग ना करके भी हम पर्यावरण संरक्षण में अपना सकरात्मक योगदान दे सकते है। निष्कर्ष सतत विकास को सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण करके प्राप्त किया जा सकता है। इससे ना सिर्फ हमारे पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आयेगी बल्कि की यह हमारे आने वाली भविष्य की पीढ़ीयों के लिए प्राकृतिक संसाधनो की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगा। 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गाँव के जीवन पर निबंध

essay on village development in hindi

आत्मा के स्वस्थ होने पर ही सम्पूर्ण शरीर में नवचेतना और नवशक्ति का संसार होता है. महिलाओं के लैगिंग समानता और सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना। 4. When we bring up the village in our imagination, bajra and corn bread, milk, butter and ghee of the village come to mind. और सम्पूर्ण भारत उसका शरीर. प्रेमभाव, भाईचारा, जीवन के प्रति नजरिया, स्वच्छ वातावरण और प्रकृति से निकटता ही ग्रामीण जीवन कि विशेषता है। ग्रामीण जीवन के लाभ क्या है? शरीर की उन्नति आत्मा की स्वस्थ स्थति पर निर्भर करती है.

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